श्लोकार्धं श्लोकपादं वा वरं भागवतं गृहे ।
शतशोऽथ सहस्रैश्च किमन्यैः शास्त्रसंग्रहै ॥
अर्थात्: यदि अपने घर पर भागवत का आधा श्लोक या चौथाई श्लोक का पठन पाठन करें तो यह बहुत उत्तम बात है, उसे छोड़कर सैकड़ों और हजारों तरह के अन्य ग्रन्थ के संग्रह से भी क्या लाभ है ?
श्रीमद्भागवत महापुराण 18 महा पुराणों में से एक है तथा भगवान का वांगमय स्वरूप है। यह महर्षि वेदव्यासजी द्वारा रचित है। यह सभी साधकों के परम उद्धार का एक सरल साधन है। SBRK ने जून 2021 में 700 प्रतिभागियों के साथ इस प्रकल्प का शुभारम्भ किया और आज अगस्त 2022 तक लगभग 20000 साधक इसके साथ जुड़े हैं जिन्होंने SBRK के माध्यम से भागवत के विभिन्न स्तोत्र सीखे हैं।
श्रीमद्भागवत रसिक कुटुंब का मुख्य उद्देश्य विश्व में सनातन धर्म का प्रचार- प्रसार करने के साथ-साथ जन साधारण का आध्यात्मिक उन्नयन करना है। श्रीमद्भागवत महापुराण सर्वोच्च सत्य को प्रतिपादित करता है। यह सभी के कल्याण के लिए है और त्रिविध तापों का नाश करने वाला है। सांसारिक उलझनों में फँसे हुए जीवों को ईश्वर की ओर उन्मुख कर परम सत्य की प्राप्ति करवाता है।